कुत्ता और ननंद, मैं और ससुर जी : मेरी उम्र छबीस वर्ष है, विवाहित हूँ, विवाह को एक वर्ष से ऊपर बीत चुका है, इस समय मैं दो माह के गर्भ से हूँ, शादी के बाद प्रथम गर्भ खुशियों भरा होता है, मगर मुझे इस गर्भ ने बड़ी उलझन में डाल दिया है, समझ नहीं पा रही हूँ की गर्भ ठहरने की ख़ुशी मनाऊं या गम, निसंदेह आप यह जान कर चक्कर में पड़ गये होंगे, मैं कोई
सस्पेंस ड्रामा नहीं लिख रही हूँ, यह मेरी अपनी समस्या है जिसकी वजह से आज मैं बहुत परेशान हूँ, जब तक मैं सारी बात विस्तार नहीं नहीं लिखूंगी आप ढंग से कुछ नहीं समझ पायेंगे, मेरी ससुराल में पांच सदस्य हैं, दो मेरे सास ससुर, दो ननदें, जिनमे एक सोलह वर्ष की है दूसरी ग्यारह वर्ष की है, पांचवे मेरे पति, अब छठी मैं हूँ, इससे पहले ससूराल में एक सदस्य और था, मेरे पति का छोटा भाई जो मेरी शादी से पहले ही एक कार एक्सीडेंट में मारा गया था, जब मेरी शादी हुई थी निक्की (मेरी बड़ी ननद) पंद्रह वर्ष की किशोरी थी, उसके यौवन के फूल खिलने शुरू हुवे थे, मगर एक साल में ही वह काफी फुल फाल कर जवान लड़की दिखती थी, पति का कारोबार ऐसा है की उन्हें महिना महिना भर बाहर रुकना पड़ जाता है, ऐसे में मै अकेली उनको याद कर के बैचैन होती रहती, तीन महीने पहले पति काम के सिलसिले में इंग्लेंड जा रहे थे, कोई महिना चालीस दिन का टुर था, वे मुझे भी साथ ले जाना चाहते थे मगर मैनें ही इनकार कर दिया, मेरी सास की एक बहन बम्बई में रहती है, पति को फ्लाईट बम्बई से पकड़नी थी, तब सास अपनी छोटी बेटी को लेकर मेरे पति के साथ बम्बई के लिये रवाना हो गई, यह सोच कर की उनका बेटा जाते समय उन्हें छोड़ जायेगा और आते समय भी वह उन्ही के साथ वापस आ जायेगी,




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